Uttarkashi Tunnel Rescue : तीन दिन बारिश-बर्फबारी, रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे एक अधिकारी और जवान घायल

Uttarkashi Tunnel Rescue : तीन दिन बारिश-बर्फबारी, रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे एक अधिकारी और जवान घायल

दिवाली के दिन से उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सुरंग में कैद 41 श्रमिक बाहर निकले की उम्मीद लगाए हैं। उन्हें बाहर निकालने की पूरी कोशिशें हो रही हैं लेकिन हर बार मशीन के आगे बाधा आ रही है। रेस्क्यू का आज 15वां दिन है। हैदराबाद से प्लाज्मा कटर लाया गया है। इसके साथ ही बीएसएनएल ने भी फंसे मजदूरों तक लैंडलाइन की सुविधा दे दी है।

अंतर्राष्ट्रीय टनल विशेषज्ञ, अर्नोल्ड डिक्स ने बताया कि बरमा मशीन विफल हो गई है और हमें पाइप से बरमा निकालने में कई तकनीकी कठिनाइयाँ आ रही हैं। बरमा को काटने की प्रक्रिया अब तेजी से चल रही है। प्लाज़्मा कटर उपलब्ध हैं और बचाव कार्यकर्ता प्लाज़्मा कटर के साथ एक पाइप में जा रहे हैं ताकि उन्हें बरमा को टुकड़ों में काटा जा सके। हमें अब बरमा मिल गया है, तो हम अब पाइप में जा सकते हैं। हम पाइप पर एक नज़र डालकर देख सकते हैं कि वहाँ उसकी स्थिति क्या है और आगे क्या करना होगा, इसका आकलन कर सकते हैं।

टूटने लगा परिजनों के सब्र का बांध
हकीकत में कब तक निकाला जाएगा, यह पता नहीं है। पिछले तीन दिन से सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए रेस्क्यू अभियान अंतिम चरण बताया जा रहा था, लेकिन अब यह खिंचता जा रहा है। इससे अब अंदर फंसे मजदूरों के परिजनों के सब्र का बांध भी टूटने लगा है। सुरंग में फंसे बिहार के बांका जिले के रहने वाले वीरेंद्र किसकू की भाभी सुनीता ने बताया कि वह पिछले तीन दिन से सुन रहे कि रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा होने वाला है, आज उन्हें निकाल लिया जाएगा, लेकिन रेस्क्यू पूरा ही नहीं हो रहा है। इससे सुरंग के अंदर फंसा उनका देवर भी निराश है। झारखंड के ग्राम केशोडीह निवासी विश्वजीत कुमार के भाई इंद्रजीत भी सुरंग के बाहर अपने भाई का इंतजार कर रहे हैं। उनका कहना है कि हर दिन उम्मीद बंधती है कि आज अंदर फंसे सभी लोग बाहर आ जाएंगे, लेकिन फिर शाम होते-होते यह उम्मीद टूट जाती है।

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